वाहन पर मौजूद कार्यकर्ताओं से मारपीट, वाहन के शीशे तोडे़
भगतसिंह, प्रेमचंद, राहुल आदि की किताबें फेंकी, आग लगाने की कोशिश
प्रेस विज्ञप्ति
20 जनवरी, नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 25 गुण्डों ने आज दोपहर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के भीतर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति से खड़े ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया। उन्होंने वाहन के शीशे तोड़ डाले और वहाँ मौजूद तीन कार्यकर्ताओं कुणाल, संजय और नवीन के साथ मारपीट की। ज्ञात हो कि ‘जनचेतना’ एक सांस्कृतिक मुहिम है जो पिछले 24 वर्षों से पूरे देश में प्रेमचंद, शरतचंद्र, भगतसिंह, गोर्की, राहुल सांकृत्यायन, राधामोहन गोकुलजी, तोल्स्तोय, हेमिंग्वे, आदि लेखकों, चिंतकों और साहित्यकारों के साहित्य व लेखन के जरिये समाज में प्रगतिशील विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है। ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुण्डावाहिनी ए.बी.वी.पी. का यह पहला हमला नहीं है। इसके पहले भी जनवाद और समानता के विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी इस सांस्कृतिक मुहिम पर संघ परिवार के संगठन हमला कर चुके हैं। इसके पहले मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद, जयपुर, आगरा आदि में भी ए.बी.वी.पी., विहिप तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था। पिछले वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में भी ए.बी.वी.पी. ने प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था लेकिन दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया था।
आज हुए हमले के दौरान ए.बी.वी.पी. के लोग हॉकी, डण्डों आदि से लैस थे। उनका मकसद वाहन को नुकसान पहुंचाना था और वे खुले तौर पर बोल भी रहे थे कि इन विचारों का प्रचार-प्रसार विश्वविद्यालय परिसर में नहीं करने दिया जाएगा। ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ताओं ने इसका प्रतिरोध किया तो उनके साथ मारपीट शुरू कर दी गई और वाहन के शीशे तोड़ दिये गये। हमलावरों ने भगतसिंह, प्रेमचंद, राहुन सांकृत्यायन आदि की किताबें जमीन पर फेंक दीं तथा वाहन को आग लगाने की भी कोशिश की। जब तक ‘जनचेतना’ के स्वयंसेवकों और अन्य शुभचिन्तकों को खबर मिलती तब तक वे वाहन को काफी क्षति पहुंचा कर भाग चुके थे। इस घटना के बाद दिशा छात्र संगठन, आइसा व एस.एफ.आई. से जुड़े छात्र ‘जनचेतना’ के समर्थन में घटना स्थल पर पहुंचे और अपनी एकजुटता जताई। इस हमले के विरोध में कल दिल्ली विश्वविद्यालय का पूरा जनवादी और प्रगतिशील समुदाय कला संकाय के भीतर ही एक विरोध सभा का आयोजन करेगा।20 जनवरी, नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 25 गुण्डों ने आज दोपहर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के भीतर विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति से खड़े ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया। उन्होंने वाहन के शीशे तोड़ डाले और वहाँ मौजूद तीन कार्यकर्ताओं कुणाल, संजय और नवीन के साथ मारपीट की। ज्ञात हो कि ‘जनचेतना’ एक सांस्कृतिक मुहिम है जो पिछले 24 वर्षों से पूरे देश में प्रेमचंद, शरतचंद्र, भगतसिंह, गोर्की, राहुल सांकृत्यायन, राधामोहन गोकुलजी, तोल्स्तोय, हेमिंग्वे, आदि लेखकों, चिंतकों और साहित्यकारों के साहित्य व लेखन के जरिये समाज में प्रगतिशील विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है। ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गुण्डावाहिनी ए.बी.वी.पी. का यह पहला हमला नहीं है। इसके पहले भी जनवाद और समानता के विचारों के प्रचार-प्रसार में लगी इस सांस्कृतिक मुहिम पर संघ परिवार के संगठन हमला कर चुके हैं। इसके पहले मेरठ, मथुरा, मुरादाबाद, जयपुर, आगरा आदि में भी ए.बी.वी.पी., विहिप तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने ‘जनचेतना’ के पुस्तक प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था। पिछले वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में भी ए.बी.वी.पी. ने प्रदर्शनी वाहन पर हमला किया था लेकिन दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया था।
इस मामले की शिकायत ‘जनचेतना’ के कार्यकर्ताओं ने प्रॉक्टर ऑफिस में की और साथ ही मॉरिसनगर थाने में भी एफआईआर दर्ज कराई है। ‘जनचेतना’ के संजय ने कहा कि अगर ए.बी.वी.पी. के गुण्डे यह समझते हैं कि इस प्रकार की कार्रवाइयों से वे हमें आतंकित करके यहां से हटा सकते हैं तो यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। ‘जनचेतना’ पुस्तक प्रदर्शनी वाहन कला संकाय में लगा रहेगा और इस किस्म के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बाद वाहन की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस प्रशासन की बनती है। अगर वे इस काम को नहीं करते हैं तो इस काम को ‘जनचेतना’ के स्वयंसेवक और समर्थक स्वयं करने को बाध्य होंगे।
11 comments:
Kya kaha jaay....shabd shesh kahan rah jaaten hain ,aise kukrity dekh/sun kar ......
latao k bhot batao say nahi mantay hai.
मैं इसकी निंदा करता हूं.
सर उठाने लगे हिटलर के नवासों के गिरोह
अब कलम से नहीं शमशीर से बातें करिये।
विचारों से आतंकित लोगों से आप और क्या अपेक्षा करते हैं ?
हिटलर की नाजायज औलादों और कर भी क्या सकती हैं .. डटे रहो साथियों... इस देश का मेहनतकश वर्ग आपके साथ है... इन लोगो को मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है ... न सिर्फ विचारधारा के खेतर में बल्कि सडकों पर भी...
इन पागल कुत्तो को सबक सिखाने के लिए क्या आम आदमी का दस्ता कभी बनेगा।
दृष्टिकोण
अफसोसजनक कृत्य!!
इनको यह दिखाना होगा कि उनके तोड़-फोड़ करने से जनचेतना की गाड़ी नहीं रुकेगी.
मैं अभी बिहार में हुं सो उस दिन आपका फोन नहीं ले सका.
hitlar ke kunbe se umeed bhi kya ki ja sakti hai
sadak hi ek matr vikalp hai jhan inse bat hogi itihas mein jo inka hasr hua hai bhwisya mein bhi wahi hoga
मैं इस घटना की कड़ी निंदा करता हूं और जनचेतना के लोगों से अपील भी करता हूं कि दूसरों पर हुए हमलों के समय भी ऐसी ही एकजुटता दिखायें।
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