कश्मीर में जनमत-संग्रह कराने की बात करने वाले प्रशांत भूषण पर आज ''देशभक्तों'' ने हमला कर दिया। शुरुआती खबरों में हमलावर श्रीराम सेना या 'भगत सिंह क्रांति सेना' से जुड़े बताए गए हैं। किसी भी विरोधी विचार-मतभेद-तर्कपरक बात को गुण्डागर्दी-मारपीट करके कुचलना, यही है फासीवादियों का तरीका। प्रशांत भूषण के साथ मारपीट करना कत्तई जायज नहीं ठहराया जा सकता। इसकी कठोर से कठोर शब्दों में निंदा की जानी चाहिए।
दूसरी बात, अगर प्रशांत भूषण से मारपीट करने वाले किसी 'भगतसिंह क्रांति सेना' की आड़ में यह हरकत कर रहे हैं, तो प्रगतिशील ताक़तों को सावधान हो जाना चाहिए। जीवनपर्यंत सांप्रदायिकता-शोषण-जातिवाद आदि का विरोध करने वाले भगतसिंह के नाम का अब फासीवादी इस्तेमाल करने लगे हैं तो चिंता का विषय है। कुछ समय पहले तक यह लोग हज़ार कोशिश करके भी भगतसिंह के नाम का इस्तेमाल अपने फासिस्ट विचारों को बढ़ावा देने के लिए नहीं कर सकते थे, लेकिन आज इस नाम से बने फेसबुक ग्रुप पर इन्होंने साढ़े तीन हज़ार सदस्य बना लिए हैं।
खैर, प्रशांत भूषण के साथ मारपीट करने वाले किसी भी संगठन से हों, दरअसल यह हरकत एक बार फिर साबित करती है, फासिस्ट लगातार अपने काम में जुटे हुए हैं...अपने संगठनों में पीले-बीमार चेहरे वाले लंपट तत्वों की भर्ती कर रहे हैं। और अब ये अपनी फासिस्ट हरकतों के लिए 'भगतसिंह' के नाम का खुलेआम इस्तेमाल कर रहे हैं।
खबर:
प्रशांत भूषण के साथ कोर्ट चैंबर में मारपीट, एक गिरफ्तार
अधिवक्ता और अन्ना हजारे पक्ष के सदस्य प्रशांत भूषण से बुधवार को संदिग्ध तौर पर एक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े दो-तीन युवकों ने अभद्र व्यवहार किया और मारपीट की। यह घटना सुप्रीम कोर्ट में उनके चैम्बर में हुई। बताया जाता है कि इन युवकों ने जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की भूषण की टिप्पणी के विरोध में उन पर यह हमला किया।
हजारे पक्ष के अहम सदस्य और जनलोकपाल आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक भूषण पर हमले की घटना को टीवी चैनलों ने भी दिखाया। यह घटना उच्चतम न्यायालय के ठीक सामने बने न्यू लॉयर्स चैम्बर स्थित उनके चैम्बर क्रमांक 301 में हुई। हमलावरों ने भूषण को थप्पड़ मारे और फिर उनका चश्मा खींच लिया। युवकों ने उन्हें कुर्सी से उठाकर जमीन पर गिरा दिया और उनसे मारपीट की।
भूषण की मदद के लिए आगे आए उनके सहायक से भी हमलावरों ने मारपीट की। एक हमलावर को पकड़ लिया गया और कुछ लोगों ने उसे पीटा भी। बताया जाता है कि ये लोग वकील थे। एक अन्य हमलावर भागने में कामयाब रहा।
बाद में भूषण ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इन युवकों ने जम्मू कश्मीर के बारे में उनके रुख के चलते उन पर हमला किया। उन्होंने कहा कि वे कह रहे थे कि मैंने कश्मीर पर कुछ टिप्पणियां की हैं, जिन पर उन्हें ऐतराज है। मैंने कहा था कि कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए।
दरअसल, भूषण ने पिछले सप्ताह वाराणसी में कहा था कि कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए। भूषण ने दावा किया कि उनकी इसी टिप्पणी से एक समूह नाराज था और इस हमले के लिए वही समूह जिम्मेदार है। भूषण पर इस हमले की अन्ना हजारे, केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम, भाजपा, कांग्रेस और माकपा ने पुरजोर निंदा की।
नांगलोई के करायी गांव के रहने वाले इंदर वर्मा (24) को हमले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि दूसरे हमलावर की तलाश जारी है। वर्मा ने पुलिस पूछताछ में दावा किया कि वह श्रीराम सेना की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष है। भूषण को बाद में राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक टीएस सिद्धू ने बताया कि उनकी स्थिति ठीक है और उन्हें गंभीर चोट नहीं आई है।
वर्मा ने कहा कि चैम्बर के अंदर मौजूद लोगों ने उसके साथ मारपीट की। उसने आरोप लगाया कि अगर दूसरे लोग मारपीट नहीं करते तो वह भी ऐसा नहीं करता। उसने कहा कि हम सिर्फ उनसे जवाब मांगने आए थे। हम इसका विरोध करते हैं। हम तीन लोग थे। मुद्दा कश्मीर का था। उनके विचार हमारे शहीदों का अपमान हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर खुद को भगत सिंह क्रांति सेना संगठन का बताने वाले एक व्यक्ति ने दावा किया कि प्रशांत भूषण से उनके उच्चतम न्यायालय में बने चैम्बर में मारपीट की। अगर आप मेरे देश को तोड़ने की कोशिश करेंगे तो मै आपका सिर तोड़ दूंगा।
5 comments:
बेहद कायराना, शर्मनाक और निंदनीय कृत्य हैं. 'संघ'का असली चेहरा बेनकाब हो गया है.
घटना अत्यंत निंदनीय है !
कई बार ऐसा क्यों लगता है कि केन्द्र सरकार फासिज्म के खतरे से बेपरवाह सी है जबकि कुछ राज्य सरकारें इसे पाल पोस रही हैं !
अली भाई, यह व्यवस्था फासीवाद को जंजीर में बंधे शिकारी कुत्ते की तरह अपने साथ रखती है। व्यवस्था का संकट बढ़ते ही जंजीर खोल दी जाती है और कभी कभी यह शिकारी कुत्ता उछल-कूद करता है तो भी जंजीर खुल जाती है। और वह किसी को शिकार बना लेता है। उस समय यह व्यवस्था डंडे से इस शिकारी कुत्ते की पिटाई करती है, और उसे अधिक मोटी जंजीर में बांध देती है, ताकि उसके शिकार हुए लोगों को भी लगे कि उनके साथ न्याय हुआ है और इस शिकारी कुत्ते को भी सजा मिल गयी है।
इस सब में केंद्र और राज्य सरकार बराबर ही हैं। बस रंग-रूप-तरीके का फर्क है। ऐसा मुझे लगता है
जो देश के खिलाफ़ बोले उसके साथ तो अच्छा बर्ताव होना चाहिए था?
haan wahi bolo jo sakular muslimon ko accha lage our ye kashmeer ki baat unke man ki thee our un hinduon ko kya kahun jo lekhak ki han main han
mila rahe hain
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