फासिस्ट ताकतें किसी भी धर्म या देश की हों, वे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का मौका तलाशती रहती हैं। वैसे सालों साल अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ ज़हर उगलने का प्रचार अभियान तो जारी रहता ही है। यह हालत भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी है, वहां के मुस्लिम कट्टरपंथी अल्पसंख्यकों की हत्याएं करना, तरह तरह के कर वसूलने के अलावा अब उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए भी मज़बूर कर रहे हैं।
इसके लिए वे वही तरीका अपना रहे हैं, जो गुजरात दंगों से पहले हिंदुत्ववादी फासिस्टों ने अपनाया था, सबसे पहले आर्थिक संबंध खत्म करना। पाकिस्तान की मुल्ला जमात हिंदुओं की दुकानों से सामान न खरीदने के निर्देश जारी करती फिर रही है, उनसे हर तरह का आर्थिक लेन-देन को खत्म करने के निर्देश दे रही है। बाकी जानकारी आपको इस लिंक पर जाने से मिल जाएगी।
5 comments:
धर्म कैसा ही हो, सब स्थानों पर उस की भूमिका एक जैसी होती है।
साम्प्रदायिकता / चरमपंथ के मामले मे पाकिस्तान ने हमें बहुत पीछे छोड दिया है ! दोनो देशों की बहुसंख्यक आबादी मे सहिष्णुता की डिग्री का अंतर नंगी आंखों से दिखाई देती है !
इसीलिए एक लोकतांत्रिक समाज में अल्पसंख्यक हितों की सुनिश्चितता निश्चित की जाती है....
सामयिक प्रस्तुति...
हिन्दू भी मज़े में है मुसलमां भी मज़े में, इन्सान परेशान यहां भी है वहां भी।
samsya ke samadhan ke liye manwata ko marx ki or jana hi hoga
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