ईश्वर की सत्ता में यकीन रखने वाले मित्रों से एक अपील!!!

ईश्वर की सत्ता में यकीन रखने वाले मित्रों से एक अपील!!!

आनंद
सर्वशक्तिमान,सर्वज्ञानी, सर्वत्र परमपिता परमेश्वर
जिनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता,
उनकी सत्ता में यकीन रखने वाले मेरे धार्मिक मित्रों!
मेरी तरफ़ से अपने परमपिता से कुछ सवाल करोगे क्या?

मुझे तो अधर्मी, काफ़िर होने के संगीन जुर्म में
बिना सुनवाई के, हिटलरशहाना अंदाज़ में
नरक के कंसन्ट्रेशन कैम्प में भेज दिया जायेगा.
इसलिए जब कभी तुम्हे अपने परमपिता के
दुर्लभ दर्शन होने का सौभाग्य प्राप्त हो,
या फिर जब तुम्हे आलीशान स्वर्ग की ओर ले जाया जा रहा हो,
उस समय मेरी तरफ़ से कुछ सवाल करोगे क्या?

उनसे पूछना कि जब हीरोशिमा और नागासाकी पर
शैतान अमेरिका गिरा रहा था परमाणु बम,
तो मानवता का कलेजा तो हो गया था छलनी छलनी ,
लेकिन महाशय के कानों में क्यों नहीं रेंगी जूँ तक?

फिर उनसे पूछना कि जब दिल्ली की सड़कों पर
कोंग्रेसी राक्षस मासूम सिखों का कर रहे थे कत्लेआम,
तब यह धरती तो काँप उठी थी
लेकिन बैकुंठ में क्यों नहीं हुई ज़रा सी भी हलचल?

उनसे यह भी पूछना कि जब गुजरात में
संघ परिवार के ख़ूनी दरिंदों द्वारा
मुस्लिम महिलाओं का हो रहा था सामूहिक बलात्कार,
तब इंसानियत तो हो गयी थी शर्मसार
पर जनाब के रूह में क्यों नहीं हुई थोड़ी भी हरकत?

और यह भी कि बरखुरदार किस करवट सो रहे होते हैं
जब उनके मंदिर के नाम पर गिराई जाती है मस्जिद,
जब ज़िहाद के नाम पर क़त्ल किये जा रहे होते हैं निर्दोष नागरिक?

आख़िर मालिक क्यों नहीं होते टस से मस?
जब मुनाफ़े कि वहशियाना हवस को मिटाने कि ख़ातिर
मिल मालिक जोंक कि तरह चूस रहे होते हैं मज़दूरों का खून.

योर ऑनर किस जुर्म कि सज़ा देते हैं
भूकंप और सूनामी पीड़ितों को?

पूछने को तो और भी बहुत कुछ है,
जैसे कि वियतनाम,फिलिस्तीन,अफगानिस्तान, इराक और अब पकिस्तान..

लेकिन मुझे लगता नहीं कि तुम कर पाओगे इतना साहस
आखिर तुम्हे अपने स्वर्ग और मोक्ष की परवाह है,
भले ही इस दुनिया में लोग जी रहे हों नरक से भी बदतर ज़िन्दगी
इससे तुम्हे क्या फ़र्क पड़ता है कि इस दुनिया में है इतनी अशांति
तुम्हे तो बस अपनी मानसिक शांति कि फ़िक्र है.

आख़िर तुम हो तो इसी व्यवस्था की उपज
जहाँ लोगों के दिमाग में ठूसा जाता है बस अपने लिए जीना
लेकिन मैं भी तो हूँ इसी व्यवस्था की उपज
मैं खुले आम करता हूँ विद्रोह
न सिर्फ इहलोक की ज़ालिम सत्ता के ख़िलाफ़
बल्कि परलोक की अमानवीय सत्ता के भी ख़िलाफ़.
क्योंकि अब हो चला है मुझे यकीन
कि हर तरह के अमानवीय अन्याय के ख़िलाफ़
विद्रोह न्यायसंगत और मानवीय है!

16 comments:

उम्मतें said...

क्या ख़ाक पूछूंगा ? ...जब आपके साथ मेरा भी नरक जाना तय है !

Unknown said...

आपकी कबिता सार्थक हो जाती अगर पूछ लेते सवाल पाकिस्तान ,अफगानीस्तान,वंगलादेश ,कश्मीर व गोधरा के डिब्बे में जलाए ( कतल )किए गए हिन्दूओं पर भी
बस यह वो सोच है जो हमें और आपको साथ नहीं चसने देती बरना सब ठीक हो जायेगा।

EP Admin said...

लवली जी के ज़रिये यहाँ तक पंहुचा हूँ! देख कर सिर्फ अच्छा नहीं लगा बहुत ख़ुशी हुयी की अब मुद्दों को पलटकर देखा जाना शुरू हुआ है! ब्लागरों पर दो कट्टर दलों की भरमार देख कर कई बार उबाई आई है
यहाँ देखकर अच्छा लगा की कुछ सार्थक लेखन भी जारी है समाज की समस्या समुहवादी संकल्पना के साथ ही शुरू हुयी है! या कहें की सभ्यताएं अपने आप में एक बड़ी समस्या बन गयी हैं! दुनिया किसी भी समूह की नहीं हो सकती...........हर व्यवस्था वर्ग विशेष के हित और दूसरों के शोषण का काम करती है और अगर सचमुच मानसिक शांति चाहिए तो आज़ादी होने चाहिए सभ्यता संस्कृति या किसी भी व्यवस्था से किसी भी रचना से चलो वापिस चले असंगठन की ओर

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

जो भी हो रहा है वो कोई इश्वर नहीं कर रहा है ... क्यूंकि कोई इश्वर नहीं है ... ये मानव ही मानवता का दुश्मन बन बैठा है ...

Randhir Singh Suman said...

nice

दृष्टिकोण said...

बेहद विचारोत्तेजक कविता!!! मगर जब लोगों की विचार करने की शक्ति को पंगु बना दिया गया हो तो जो दृश्य बनता है वही इन दिनों भारत का दिखाई देता है।

दृष्टिकोण
www.drishtikon2009.blogspot.com

दिनेशराय द्विवेदी said...

अपना दिमाग अपने पास रखो
उस से सोचो
और आगे बढ़ो।
पर उन का क्या
जिन के दिमाग
निकाल, उन की जगह
भूसा भर दिया गया है।

रवि कुमार, रावतभाटा said...

क्या ख़ूब...
यह अपील, अपील करती है...

सुनील दत्त साहेब का सवाल भी पूछ लेंगे भई हम तो...बस सर्वशक्तिमान से मिलना हो जाए...

Fauziya Reyaz said...

hum bhi honge nark ke dwaar par so ye sawaal koi aur hi poochega...

Anonymous said...

हम तो पूछ नहीं पयेंगे - जहन्नुम की जय हो.

Fauziya Reyaz said...

hum bhi honge aapke saath nark ke dwaar par so ye kaam to kisi aur ko hi karna hoga...

अंकित कुमार पाण्डेय said...

उससे प्रश्न पूछने के लिए कुछ योग्यताएं होनी चाहिए हर कोई नहीं पूछ सकता है


कैन आपकी कविता हो हिट हो गई :) :) :)

anjule shyam said...

लवली जी के जरिये मैं भी पंहुचा हूँ ...जहन्नुम का हम रही मैं भी हूँ......स्वर्ग से बेहतर बे इस्वर एक नरक का होना है.......रचना के लिए बधाई.....

हरीश करमचंदाणी said...

इस दुनियां में जब गाँधी जैसे धार्मिक लोग बढ़ जायेंगे तब यक़ीनन पाखंडी धार्मिकता का पर्दाफास हो पायेगा ,तब तक तो भाई इन लोगो की मक्कारिया झूठे सिद्धांतों की आड़ में बर्बरता का नंगा नाच करती दिखती हैं...बोल्ड और असरकारी रचना हैं

हरीश करमचंदाणी said...

इस दुनियां में जब गाँधी जैसे धार्मिक लोग बढ़ जायेंगे तब यक़ीनन पाखंडी धार्मिकता का पर्दाफास हो पायेगा ,तब तक तो भाई इन लोगो की मक्कारिया झूठे सिद्धांतों की आड़ में बर्बरता का नंगा नाच करती दिखती हैं...बोल्ड और असरकारी रचना हैं

हरीश करमचंदाणी said...

इस दुनियां में जब गाँधी जैसे धार्मिक लोग बढ़ जायेंगे तब यक़ीनन पाखंडी धार्मिकता का पर्दाफास हो पायेगा ,तब तक तो भाई इन लोगो की मक्कारिया झूठे सिद्धांतों की आड़ में बर्बरता का नंगा नाच करती दिखती हैं...बोल्ड और असरकारी रचना हैं