नरेन्द्र मोदी की आलोचना करने पर एबीवीपी व बजरंग दल के गुण्डों द्वारा ‘गुजरात के मुसलमानों की तरह काट डालने’ की धमकी

प्रगतिशील छात्रों-युवाओं की दीवार पत्रिका ‘संवेग’ व ‘प्रतिरोध’ पर साम्प्रदायिक फ़ासीवादी ताक़तों का हमला
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की हिफ़ाज़त के लिए बुद्धिजीवियों और नागरिकों के नाम एक अपील


साथियो,
प्रगतिशील छात्रों-युवाओं का मंच ‘शहीद भगतसिंह विचार मंच’ और स्त्री मुक्ति को समर्पित संगठन ‘स्त्री मुक्ति लीग’ इलाहाबाद में ‘संवेग’ व ‘प्रतिरोध’ (प्रतिरोध के अंक नीचे देखें ) नामक दीवार पत्रिकाएँ पिछले दो वर्षों से निकाल रहे हैं। ये पत्रिकाएँ मीडिया, फ़िल्मों आदि द्वारा समाज में फ़ैलाये जा रहे सांस्कृतिक घटाटोप के ख़िलाफ़ निरन्तर लिखने के साथ ही सामाजिक परिवर्तन के विचारों को प्रचारित-प्रसारित करने का कार्य लगातार कर रही हैं। ये पत्रिकाएँ विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा ही निकाली जाती है और इसे निकालने के लिए छात्र ही आर्थिक, भौतिक और बौद्धिक सहयोग करते हैं। इन पत्रिकाओं को न सिर्फ़ कैम्पस में बल्कि शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगाया जाता है और इनके हज़ारों नियमित पाठक हैं। इन पत्रिकाओं को निकालने वाले छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को ‘बजरंग दल’ और ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ के कार्यकर्ताओं द्वारा पिछले करीब एक माह से जान से मारने की धमकियाँ दी जा रही हैं। इसका कारण यह है कि इन दीवार पत्रिकाओं में संघ परिवार की साम्प्रदायिक फ़ासीवादी हरक़तों और देश में फ़िर से साम्प्रदायिक तनाव फ़ैलाने की कार्रवाइयों पर आलोचनात्मक टिप्पणियाँ छप रही थीं। देश का कानून व संविधान किसी को भी अपने विचारों को संवैधानिक दायरों में अभिव्यक्त करने की स्वतन्त्रता देता है। लेकिन सभी जानते हैं कि देश के साम्प्रदायिक फ़ासीवादी संघ परिवार के अनुषंगिक संगठन किसी भी प्रकार की आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते। उनकी आदत रही है कि हर प्रकार के विरोध और आलोचना को झुण्डवादी ‘पौरुष’ से शान्त कर दिया जाय। यही कोशिश इलाहाबाद में इस समय जारी है। इन दीवार पत्रिकाओं को निकालने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को फ़ोन करके ये साम्प्रदायिक फ़ासीवादी गुण्डा तत्व घटिया गालियाँ दे रहे हैं, ‘गुजरात के मुसलमानों की तरह काट डालने’ की धमकी दे रहे हैं। जाहिर है कि कोई भी प्रगतिशील विचारों वाला संगठन ऐसी धमकियों से भयभीत होने वाला नहीं है। लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि ऐसी सभी फ़ासीवादी हरक़तों के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ इलाहाबाद शहर के बल्कि देश की सभी जनवादी व प्रगतिशील ताक़तें एकजुट हों। ज्ञात हो कि ‘संवेग’ के हालिया अंक में गुजरात में विकास के दावों की पोल खोलते कुछ आँकड़े दिये गये थे और ‘प्रतिरोध’ के पिछले अंक में अमर्त्य सेन से बौखलाये मोदी-समर्थकों द्वारा उनकी अभिनेत्री पुत्री की अर्द्धनग्न तस्वीरें डालने का पुरज़ोर विरोध किया गया था। यह बात इलाहाबाद के मोदी-समर्थक संघियों को नागवाँर गुज़री है। नरेन्द्र मोदी के दाएं हाथ अमित शाह को भाजपा ने उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है, जिनकी 2002 के गुजरात नरसंहार में भूमिका की जांच जारी है, और मोदी के फ़ासीवाद का चेहरा सत्ता में आये बग़ैर ही सामने आने लगा है।
जब इन दीवार पत्रिकाओं को निकालने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने धमकी भरे फ़ोन करने वालों का नाम और पता पूछा तो उसने अपने आपको मेडिकल कॉलेज का छात्र बताया और कभी अपना नाम पंकज तो कभी राजेश बताया, और अपना रूम नं- कभी 161 तो कभी 170 बताया।फ़िर उसने 9415651857, 8574380116 फ़ोन नम्बरों से दो अन्य छात्रों से भी गाली और धमकी दिलवाई। हमारे तीन साथी फ़िर से दीवार पत्रिका लगाने गये तो वह उसको भी फ़ाड़ने लगा। इसका विरोध करने पर वह एबीवीपी व बजरंग दल के लोगों को बुलाकर मारपीट की धमकी देने लगा। इसके बाद इन लोगों द्वारा (जिसमें कोई अपने को एबीवीपी का, कोई बजरंग दल का, कोई हिन्दू हास्टल का बता रहा था) शाम 7 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक लगातार फ़ोन करके सबक सिखाने, काटकर फ़ेंक देने की धमकी दी जाती रही। शहीद भगत सिंह विचार मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहने पर कि एक लोकतांत्रिक समाज में हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आज़ादी है और तुम भी अपने विचार अभिव्यक्त करने के लिए पोस्टर लगाओ या पत्रिका निकालो, उन्होने कहा कि मोदी को कोई कुछ भी कहेगा, तो हम उसे फ़ाड़ देंगे और दीवार¬पत्रिका मेडिकल कॉलेज में नहीं लगने देंगे और कहा कि अपना पता बताओ, तो तुम लोगों को सबक सिखाएं।
सत्ता में न होने पर इन फ़ासीवादियों का यह रवैया है, तो ज़ाहिर है कि सत्ता में आने पर ये ताक़तें हर प्रकार के राजनीतिक विरोध, धार्मिक अल्पसंख्यकों और दलितों के साथ क्या करेंगी, बताने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन हम ऐसी शक्तियों की धमकियों से जनता के हितों के बारें में लिखना व सच्चाई बयान करना कत्तई बन्द नहीं करेंगे और हर तरह के संघर्ष के लिये तैयार रहेंगे। जल्द ही हम ऐसी शक्तियों के विरुद्ध इलाहाबाद शहर में एक संयुक्त विरोध प्रदर्शन का आयोजन करेंगे। सभी प्रगतिशील, जनवादी और इंसाफ़पसन्द छात्र-युवा संगठनों, स्त्री संगठनों, नागरिक संगठनों और साथ ही हरेक नागरिक से हम अपील करते हैं कि इस संघर्ष में हमारे साथ आयें। हमें एकजुट होकर इन साम्प्रदायिक फ़ासीवादी शक्तियों का और समाज में साम्प्रदायिक उन्माद फ़ैलाने के उनके प्रयासों का मुकाबला करना चाहिए।
पहले वे आये यहूदियों के लिए/मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं यहूदी नहीं था
फ़ि‍र वे आये मज़दूरों के लिए/मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं मज़दूर नहीं था
फ़ि‍र वे आये ट्रेड यूनियनवालों के लिए/मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं ट्रेड यूनियनवाला नहीं था
फ़ि‍र वे आये कम्युनिस्टों के लिए/मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था
फ़ि‍र वे आये मेरे लिए/और कोई नहीं बचा था जो मेरे लिए बोलता!
(हिटलर के दौर के कवि पास्टर निमोलर की प्रसिद्ध कविता)

शहीद भगत सिंह विचार मंच, स्त्री मुक्ति लीग
फ़ोन नं- 8115491369, 8303889357


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