tag:blogger.com,1999:blog-608632017228824414.post4462738705533367193..comments2023-08-01T18:39:57.464+05:30Comments on बर्बरता के विरुद्ध: परोपकार के नाम पर धार्मिक पाखंड थोपने की कवायदसंदीपhttp://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-608632017228824414.post-31482876462225594832009-12-31T18:36:47.748+05:302009-12-31T18:36:47.748+05:30जो था उससे बेहतर कल के लिये ...अनंत शुभकामनायें !
...जो था उससे बेहतर कल के लिये ...अनंत शुभकामनायें !<br />Ali<br />(31-12-09)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-608632017228824414.post-60973222320797580842009-12-21T14:16:04.318+05:302009-12-21T14:16:04.318+05:30rss ki tarah in logo ne bhi logon ke rahn sahan ka...rss ki tarah in logo ne bhi logon ke rahn sahan ka theka le rakha hai ye bhi unhi ki jamat je log haishameemhttps://www.blogger.com/profile/00001060519295551597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-608632017228824414.post-73762118941365264202009-12-18T17:19:35.593+05:302009-12-18T17:19:35.593+05:30बड़ा ही मर्मस्पर्शी लेख है ... तथ्य सामने लाने के ...बड़ा ही मर्मस्पर्शी लेख है ... तथ्य सामने लाने के लिए लेखक को बधाई<br />आश्चर्य है की संस्कृतिक एकता की बात करने वाली आर एस एस देशवासियों की ऐसी दुर्दशा के बारे में क्या कहेगी .. कहेगी भी कैसे जब इसकी ज़िम्मेदारी उसी के सर पर है ...<br />इन भले मानुसो को यदि सरकार सहायता दे तो उचित होगा ... <br />हम सबकी भी ज़िम्मेदारी है की कुछ करे ...Tarun Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/06179808484929384767noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-608632017228824414.post-34558324741456862062009-12-17T16:07:49.681+05:302009-12-17T16:07:49.681+05:30दिक्कत ये है की धर्माधारित राष्ट्रों के रूप में ...दिक्कत ये है की धर्माधारित राष्ट्रों के रूप में इस्लामिक देशों की विफलता से ना तो मुस्लिम दक्षिणपंथी कोई सबक लेने तैयार हैं और ना ही हिन्दू दक्षिणपंथी !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-608632017228824414.post-87257167508043523582009-12-17T12:01:48.496+05:302009-12-17T12:01:48.496+05:30आपने लिखा असुरक्षा की भावना परंपरावादिता की जड़ मे...आपने लिखा असुरक्षा की भावना परंपरावादिता की जड़ में है. लेकिन आपको बहुत दूर नहीं जाना पड़ेगा. कश्मीर में पंडितों को भगाने के बाद अब वहां 99 प्रतिशत मुसलमान हैं. वहां क्यों परंपरावादिता है. इस्लामिक देशों में क्यों परंपरावादिता है. क्यों नहीं वहां कोई गांधी या कोई नेहरू पैदा होता है जो इस्लाम के अलावा भी किसी धर्मावलंबियों की बात करे. <br />क्यों इस्लाम के नाम पर दुनियाभर में आतंकवाद फैला है. <br />देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला हक है तो हिंदू कहां जाएगा. प्रधानमंत्री के इस कथन का कोई मुसलमान विरोध क्यों नहीं करता है. <br />चालीस सालों तक मुसलमानों की पक्षधर सरकार के केंद्र में रहने के बावजूद मुसलमानों का विकास क्यों नहीं हुआ है. <br />क्या इस देश में धर्म के आधार पर नौकरी मिलनी चाहिए. अगर मुसलमानों को नौकरी देने की बात की जा रही है तो मुसलमान क्यों विरोध नहीं कर रहे हैं.<br />जब तक वो ऐसा नहीं करेंगे तब तक बहुसंख्यक हिंदुओं के दिल में उनके प्रति हमदर्दी कैसे जगेगी.<br />कश्मीर में आतंकवादी सैकड़ों मुसलमानों की हत्या कर रहे हैं कोई आवाज उठाने वाला नहीं है, लेकिन वहां से सेना को भगाने के लिए तोड़-फोड़ सब कुछ हो रहा है. क्यों नहीं विरोध करते आप.Satyajeetprakashhttps://www.blogger.com/profile/11272982282044450151noreply@blogger.com